ट्रिपल एस ओ न्यूज, भीनासर/ बीकानेर, दिनांक 15 दिसम्बर 2025 को भीनासर के स्वर्गीय सेठ चम्पालाल बाँठिया की 123वीं जन्म जयंती थी इस पावन अवसर पर सेठ चम्पालाल बाँठिया धर्मार्थ ट्रस्ट भीनासर में स्थापित उनकी पंचधातु की मूर्ति पर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महामन्त्री व श्री जवाहर विद्यापीठ के ट्रस्टी मोहन सुराणा ने सेठ जी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा इस अवसर पर उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने वाले उनके कनिष्ठ पुत्र सुमति लाल बाँठिया, मेघराज बोथरा, डॉ. जे .एस.मेहता, सन्तोष बाँठिया , निर्मल कुमार पारख, किशोर कुमार बाँठिया व सुनिल सुराणा व अन्य गणमान्य लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई और उपस्थित जनों को प्रसाद का वितरण किया गया । सेठजी की जन्म जयंती के पावन अवसर पर उनके पुत्र सुमति लाल बाँठिया ने साधुमागीँ जैन संघ गंगाशहर भीनासर को एक राशि भेंट की जिससे सभी श्रावक श्राविकाओ के खाने में व टिफिन आदि की व्यवस्था में सहयोग किया इसके अलावा संघ के पूर्व आचार्य श्री नानालाल जी महाराज की जन्म स्थली नानेश नगर दांता में एक सहयोग राशि लिखाई गई जिससे वहाँ के विद्यालय एंवम महाविद्यालय के छात्रावास में रहने वाले सभी विद्यार्थियों को एक दिन का नाश्ता व दोनो समय के खाने की व्यवस्था की गई।
![]() |
भीनासर के सेठ चम्पालाल बाँठिया की 123वीं जन्म जयंती समारोह पूर्वक आयोजित |
सेठ चम्पालाल बाँठिया ने अपना पूरा जीवन ही समाज सेवा में समर्पित कर दिया इसीलिए प्रति वर्ष उनकी जन्म जयन्ती समारोह पूर्वक मनाई जाती है। वर्ष 1932 में जब बालिकाओं की शिक्षा के बारे में कोई सोच भी नही सकता था उन्होनें अपने पिताजी की स्मृति में करीब 10000 गज जमीन में सेठ हमीरमल जी बाँठिया राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय की स्थापना की जो आज भी निरन्तर प्रगतिशील है। सेठ जी आचार्य श्री जवाहर लाल जी महाराज के अनन्य भक्त थे वे जीवन के अन्तिम दो वर्ष भीनासर में बिराजे तो उनकी अनन्य सेवा की और उनके व्याख्यानो पर आधारित 32 जवाहर किरणावलियों का प्रकाशन करवाया और उनका भीनासर में आषाढ़ शुक्ला अष्टमी सॅवत 2000 को स्वर्गवास हो जाने पर उनकी स्मृति में श्री जवाहर विद्यापीठ की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। आचार्य श्री शिक्षा के हिमायती थें अतः उनकी स्मृति में अपने पार्टनर चम्पालाल जी बैद के साथ मिलकर भीनासर में करीब 50,000 गज भूमि खरीद की और वहाँ अपनी फर्म मैसर्स हमीरमल चम्पालाल, कलकता के सौजन्य से 30 कमरे बनाकर शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार को समर्पित कर दिया बाद में पिछली कोंग्रेस सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ बी डी कल्ला के शाला में 5 कमरे और बनवाकर पहली से 12 वीं तक अंग्रेजी शिक्षा भी प्रारम्भ करवा दी और पीछे बची 20,000 गज जमीन में महाविद्यालय का निर्माण करवा दिया जिसमें स्नातक स्तर तक की पढाई होती है लेकिन महाविधालय का नाम राजकीय महाविधालय,गंगाशहर रखा गया है जब कि ये भूमि भीनासर में स्थित है और पूरी भूमि आचार्य जवाहर लाल जी की स्मृति में खरीदी थी अतः महाविधालय का नाम आचार्य श्री जवाहर राजकीय महाविधालय,भीनासर होना चाहिए।
यह पूरे गांव की पुरजोर मांग है सरकार को शीघ्र निर्णय लेकर नाम परिवर्तन किया जाना चाहिए।

