ट्रिपल एस ओ न्यूज, बीकानेर। देश के कई प्रांतों में प्रभावशाली नेताओं, प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों तथा शीर्ष पदों पर आसीन IAS-IPS अधिकारियों के बीच इन दिनों एक ही नाम विशेष चर्चा में है — बीकानेर के युवा ज्योतिष आचार्य अनिल पुरोहित। महज़ 31 वर्ष की आयु में उनकी ज्योतिषीय विशेषज्ञता, विशेष तौर पर मेडिकल एस्ट्रोलॉजी में उनकी अद्वितीय पकड़ ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता का ऐसा मुकाम दिलाया है, जहाँ बड़े से बड़ा निर्णय भी उनकी सलाह के बिना अधूरा माना जा रहा है।
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| वीवीआईपी नेताओं, उद्योगपतियों और शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों का भरोसा जीत रहे बीकानेर के 31 वर्षीय ज्योतिष आचार्य अनिल पुरोहित |
गंभीर बीमारियों का पूर्व संकेत — मेडिकल एस्ट्रोलॉजी में चौंकाने वाली सटीकता
आचार्य अनिल पुरोहित की सबसे बड़ी पहचान उनके द्वारा विकसित विशेष चिकित्सा-ज्योतिषीय विश्लेषण है। ग्रहों की चाल, जन्मपत्री की सूक्ष्म गणना और दशा-विन्यास के आधार पर वे कई बार ऐसी बीमारियों की आशंका का संकेत पहले ही दे देते हैं, जिनका पता बाद में मेडिकल जांच में मिलता है।
उनकी सलाह पर समय रहते करवाए गए इलाज ने अब तक अनेक परिवारों को बड़ी त्रासदी से बचाया है। कई डॉक्टरों ने भी स्वीकार किया है कि जिन मरीजों के मामले जटिल थे, उनमें आचार्य पुरोहित द्वारा बताई गई ‘सही टाइमिंग’ और ‘उपयुक्त मेडिकल विंडो’ के भीतर इलाज शुरू होने से आश्चर्यजनक सुधार देखने को मिला।
मंत्री, सांसद, विधायक, उद्योगपति—सभी प्रमुख व्यक्तित्व हैं नियमित संपर्क में
सूत्रों के अनुसार देश के कई राज्यों के
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मंत्री,
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लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद,
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विधायक,
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बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुख,
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नौकरशाही के उच्च अधिकारी,
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पुलिस विभाग के वरिष्ठ IPS अधिकारी,
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पदस्थापन
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पदोन्नति
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महत्वपूर्ण हस्तांतरण
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कोर्ट-कचहरी के विवाद
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कारोबारी निर्णय
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पारिवारिक स्वास्थ्य संकट
जैसे मामलों में भी उनकी सलाह को “फाइनल ओपिनियन” की तरह माना जाता है।
ज्योतिष के साथ आध्यात्मिक दृष्टि—सलाह को बनाती है और प्रभावी
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कर्म सुधार,
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ध्यान,
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आध्यात्मिक उपाय
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तथा जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन
के माध्यम से समस्याओं का मूल समाधान भी बताते हैं।
युवा आयु, राष्ट्रीय पहचान — बीकानेर का नाम देशभर में रोशन
सिर्फ 31 वर्ष की उम्र में आचार्य पुरोहित ने जिस स्तर पर देश के प्रभावशाली वर्ग का भरोसा जीत लिया है, वह अपने आप में अभूतपूर्व है। बीकानेर जैसे शांत शहर से निकलकर देश के वीवीआईपी वर्ग तक पहुँचना उनकी ज्ञान-परंपरा, ईमानदारी और समर्पण का परिणाम है।

