नहर में मिले वृद्ध के शव को सम्मानपूर्वक पहुँचाया — सूरतगढ़ की “नर सेवा नारायण सेवा समिति” ने दिखाई सच्ची मानवता

ट्रिपल एस ओ न्यूज़ सूरतगढ़, 7 अक्टूबर 2025 (रिपोर्टर):

जब इंसान इंसान के काम आता है, तभी समाज में सच्चे अर्थों में सेवा का भाव जीवित रहता है। ऐसा ही प्रेरणादायक उदाहरण सूरतगढ़ में देखने को मिला, जब नर सेवा नारायण सेवा समिति सूरतगढ़ के सेवाभावी कार्यकर्ताओं ने एक अज्ञात वृद्ध व्यक्ति के शव को नहर से निकालकर पूरे सम्मान के साथ उसके परिवार तक पहुँचाया।

नहर में मिले वृद्ध के शव को सम्मानपूर्वक पहुँचाया — सूरतगढ़ की “नर सेवा नारायण सेवा समिति” ने दिखाई सच्ची मानवता
नहर में मिले वृद्ध के शव को सम्मानपूर्वक पहुँचाया — सूरतगढ़ की “नर सेवा नारायण सेवा समिति” ने दिखाई सच्ची मानवता

समिति के सदस्य समाजसेवी राज किंगरा ने शाम करीब 7 बजे समिति से संपर्क कर बताया कि संगरिया शहर का एक वृद्ध व्यक्ति कुछ दिन पूर्व नहर में गिर गया था, और उसकी डेढ़ बॉडी दो दिन बाद सूरतगढ़ के मानकसर (34 नंबर नहर) के पास दिखाई दी है। वृद्ध के परिजन और गाँव के सरपंच भी मौके पर मौजूद थे, किंतु स्थिति बेहद संवेदनशील थी।

इस सूचना के बाद समिति के संस्थापक श्री राधे सरस्वत को जानकारी दी गई। उन्होंने तुरंत कहा —

“कटारिया बेटा, पूछा मत कर — बस सेवा कर। हम बैठे हैं, चिंता मत कर।”

उनके इन शब्दों से प्रेरित होकर समिति सदस्य कटारिया अपने साथी सिकंदर के साथ तुरंत मौके पर पहुँचे और बिना समय गँवाए नहर से शव को बाहर निकाला। सेवा भावना से प्रेरित होकर दोनों ने कठिन परिस्थिति में यह कार्य पूर्ण किया।

इसके बाद समिति की ओर से सम्मान वाहन की व्यवस्था की गई और वृद्ध के शव को पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ संगरिया तक पहुँचाया गया।
पूरे अभियान के दौरान समिति सचिव श्री रवि बिश्नोई लगातार फोन पर संपर्क में रहे और हर पल सहायता के लिए तत्पर रहे। उन्होंने कहा —

“किसी भी तरह की परेशानी हो तो बताना, बस सेवा रुकनी नहीं चाहिए।”

इसी बीच समिति के संरक्षक श्री लड्डू मुढ़गल ने सभी टोल फ्री करवाए और कहा कि

“अगर परिवार को किसी भी प्रकार की जरूरत हो, तो समिति हर संभव सहायता करेगी।”

इस पुनीत कार्य के बाद समिति के सदस्यों ने कहा कि उनकी प्रेरणा का स्रोत उनकी माताओं का आशीर्वाद और मानवता की भावना है।

“अपने लिए जिए तो क्या जिए, दूसरों के लिए जिए वही तो सच्चा जीवन है।”

समिति के सभी सदस्य निःस्वार्थ भाव से मानव सेवा में लगे हुए हैं, और उनकी सभी सेवाएँ पूर्णतः निःशुल्क हैं।
समाज में ऐसे उदाहरण यह संदेश देते हैं कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।

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