मोको कहां ढूंढे रे बंदे....

ट्रिपल एस ओ न्यूज़, बीकानेर। अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कबीर सत्संग कार्यशाला के दौरान युवा संगीतकार संजय झुंझ ने कबीर की निर्गुण वाणी ‘‘मोको कहां ढूंढे रे बंदे....’’ सुनाकर सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि कबीर दास जी कहते है कि ईश्वर तुम्हारे पास ही है, हर सांस में हैं, उसे बाहर ढूंढने की आवश्यकता नहीं है। झुंझ ने ‘‘ प्रार्थाना दाता से प्रार्थना... भजन सुनाकर सभी वर्ग हेतु मंगलकामना के सुर गाये। कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षार्थियों को लोकेश झंुझ ने ढोलकी वादन का प्रारम्भिक ज्ञान दिया तथा उन्होंने बताया कि किसी भी वादन को लगातार प्रयास करने से ही सीखा जा सकता है।

मोको कहां ढूंढे रे बंदे....
मोको कहां ढूंढे रे बंदे....

संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने बताया कि इस अवसर पर संगीत समूह के सदस्यों द्वारा कबीर वाणी ‘‘वारी जाऊं रे, बलिहारी जाऊं रे...’’ मांड ‘‘सेणा रा बावरिया....’’ मीरा का भजन ‘‘मीरा मेड़तली.....’’ सुनाकर सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम में सुनीता श्रीमाली, प्रज्ञा, डॉली कुमावत, आशा मोदी, सिद्धार्थ व्यास, निर्मल श्रीमाली, रामगोपाल व्यास, गौरीशंकर शर्मा, अम्बिका, मनन, सौम्य व्यास सहित कई श्रोता उपस्थित रहे।

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