जैनाचार्य जवाहरलाल जी महाराज की 150 वीं जन्म जयन्ती समारोह पूर्वक सम्पन्न

ट्रिपल एस ओ न्यूज, बीकानेर। ज्योतिर्धर आचार्य श्री जवाहर लाल जी महाराज स्थानकवासी जैन सम्प्रदाय के महान प्रतापी आचार्य थे। उनका जन्म थांदला (मध्यप्रदेश) में कार्तिक शुक्ला चतुथी संवत् 1932 को हुआ था और आज कार्तिक शुक्ला चतुर्थी संवत् 2082 को उनकी 150 वीं जन्म जयन्ती है। आचार्य श्री की तबियत अस्वस्थ होने पर जीवन के अन्तिम दो वर्ष मीनासर में विराजे थे तब भीनासर के सेठ चम्पालाल जी बौठिया ने उनकी अनन्य सेवा की वे उनके परम भक्त थे। सेठ जी आचार्य श्री के विद्वतापूर्ण व्याख्यानों से इतने प्रभावित हुए तो उन्होंने सोचा कि ये आने वाली नस्लों के लिए एक तासीर होनी चाहिए तो उन्होने ब्यावर से पंडित शोभाचन्द्र जी भारिल्ल को बुलवाया तो आचार्य श्री के व्याख्यानों को संक्षिप्त में नोट करते थे और उनके व्याख्यानों पर आधारित 33 जवाहर किरणावलियों का प्रकाशन सेठ जी ने करवाया जिसमें 1 किरणावली उनके जीवन काल में ही प्रकाशित हो गई थी बाकी सभी किरणावलियों का प्रकाशन आज भी श्री जवाहर विद्यापीठ निरन्तर कर रहा है।

जैनाचार्य जवाहरलाल जी महाराज की 150 वीं जन्म जयन्ती समारोह पूर्वक सम्पन्न
जैनाचार्य जवाहरलाल जी महाराज की 150 वीं जन्म जयन्ती समारोह पूर्वक सम्पन्न

आचार्य श्री का स्वर्गवास सेठ सोहनलाल जी चम्पालाल जी बाँठिया द्वारा बनाए गए हॉल में 68 वर्ष की आयु में आषाढ़ शुक्ला अष्टमी संवत् 2000 को संथारापूर्वक सम्पन्न हुआ। उनकी अन्त्येष्ठी में हजारों की संख्या में जनभेदनी पूरे भारत वर्ष से उपस्थित हुई। उनके चलावे के लिए 20,000 चांदी के सिक्के एकत्र हुए जिसमें 2000 तो घी व चन्दन की लकड़ी में लग गए बाकी 18000 रूपयों के चांदी के सिक्कों की उनके पीछे उछाल की गई। सेठ चम्पालाल जी ने आचार्य श्री के लिए चांदी की बैकुण्ठी पहले से ही तैयार करवा ली थी और दाह संस्कार के समय सेठजी इतने भाव विहल हो गए कि बैकुण्ठी सहित ही उनका दाह संस्कार कर दिया गया फिर सेठ जी ने दूसरी चांदी की बैकुण्ठी बनाकर श्री जवाहर विद्यापीठ को अर्पण कर दी और जिस हॉल में आचार्य श्री का स्वर्गवास हुआ था वह भी श्री जवाहर विद्यापीठ भीनासर को दान कर दिया गया।

आचार्य श्री के स्वर्गवास के बाद सेठिया कोटड़ी बीकानेर में एक साधारण सभा हुई जिसमें सेठ चम्पालाल जी बाँठिया ने एक प्रस्ताव रखा कि आचार्य श्री की स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए एक संस्था की स्थापना भीनासर में करनी चाहिए जिसका सर्वप्रथम भैरूदान जी सेठिया बीकानेर ने इसका समर्थन किया फिर उपस्थित सभी लोगों ने इसका पूरजोर समर्थन व अनुमोदन किया और सभी लोगों ने सहयोग राशि लिखाई तथा तय किया कि सेठ हमीरमल जी बाँठिया स्थानकवासी जैन पौषधशाला के हॉल जहाँ आचार्य श्री का स्वर्गवास हुआ उसी के सामने स्थित जमीन जो लूणिया जी की थी उसमें संस्था की स्थापना की जायें, इस पुनीत कार्य के लिए लिखमीचन्द जी मूलचन्द जी लूणिया ने अपनी भूमि निःशुल्क समर्पित की और भंवरलाल जी लूणिया से जमीन खरीद की और बीकानेर के नेमचन्द जी सुखलेचा ने भी अपनी भूमि निःशुल्क समर्पित की तो बाद में निर्माण कार्य शुरू करवाया और दिनांक 29.04.1944 को श्री जवाहर विद्यापीठ के रूप मेंइसने मूर्त रूप लिया और दिनांक 19.01.2050 सोहनलाल जी दूगड फतेहपुर व इन्द्रचन्द जी गेलड़ा चैन्नई ने इसका उद्घाटन किया और संस्था आज भी निरन्तर जारी है और जवाहरलाल जी महाराज की कालजयी वाणी आज भी 33 जवाहर किरणावलियों के रूप में संस्था निरन्तर प्रकाशित कर रही है और संस्था साधुमार्गी जैन संघ के साधु साध्वियों के ठहरने व चातुर्मास आदि करने के लिए प्रयुक्त होती है। आचार्य जवाहरलाल जी महाराज ने शिक्षा की अलख जगाई, अतः सेठ चम्पालाल जी बाँठिया ने अपने पार्टनर चम्पालाल जी बैद से बात की और करीब 50000 गज जमीन आचार्य श्री की स्मृति में खरीद की उसमें आगे की 25000 गज में 30 कमरे बनाकर श्री जवाहर हाई स्कूल का निर्माण अपनी फर्म मैसर्स हमीरमल चम्पालाल से करवाया और सन् 1953 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री नाथूराम जी मिर्धा ने इसका उ‌द्घाटन किया बाद में शिक्षण कार्य हेतु शाला शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार को समर्पित कर दी और सन् 2013 में शाला को उच्च माध्यमिक स्तर तक सरकार ने क्रमोन्नत कर दिया तथा पिछली कांग्रेस सरकार के शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला ने यहां पीछे की 5000 गज जमीन में 4 कमरे और बनवाकर एल. के.जी. से 12 वीं तक अंग्रेजी शिक्षण शाला भी शुरू करवा दी और पीछे बची करीब 20000 गज जमीन में महाविद्यालय का का निर्माण करवाया जिसका नाम राजकीय महाविद्यालय, गंगाशहर रखा गया इसके नामकरण को भीनासर जाग्रति मंच व इसके अध्यक्ष सुमतिलाल बाँठिया ने पूरजोर विरोध किया तथा मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचन्द बैरवा, निदेशक कॉलेज शिक्षा जयपुर व स्थानीय विधायक जेठानन्द जी व्यास को पिछले दो वर्ष से कई पत्र लिखे जा चुके है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है। चूंकि महाविद्यालय भीनासर में स्थित है और पूरी जमीन ही आचार्य जवाहर लाल जी की स्मृति में खरीदी गई थी जिसके प्रमाण स्वरूप शिलापट्ट श्री जवाहर उच्च माध्यमिक विद्यालय में लगा हुआ है अतः महाविद्यालय का नाम आचार्य श्री जवाहर राजकीय महाविद्यालय, भीनासर किया जाना चाहिए और सरकार नहीं मानी तो इसके लिए जन आन्दोलन किया जायेगा। वैसे पूरे राजस्थान में यह एकमात्र शिक्षण संस्थान है जहां 12 वीं कक्षा तक हिन्दी माध्यम, 12 वीं तक ही अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराई जाती है और महाविद्यालय भी है और सभी एक ही परिसर में है, यह सेठ जी की दूरदृष्टि का परिणाम है।

आज आचार्य श्री जवाहर लाल जी महाराज की 150 वीं जन्म जयन्ती पर देशनोक में आचार्य श्री रामलाल जी महाराज आदि ठाणा तथा भीनासर में रमेश मुनि जी आदि ठाणा और देश भर में साधुमार्गी जैन संघ के साधु साध्वियों ने आज आचार्य श्री जवाहरलाल जी महाराज का गुणगान किया।

आचार्य श्री जवाहरलाल जी महाराज की स्मृति में केन्द्र सरकार ने भी उनकी 150 वीं जन्म जयन्ती के उपलक्ष्य में 150/- रूपये का चांदी का सिक्का व 5/- रूपये का डाक टिकट निकालने की घोषणा कर रखी है जिसका शीघ्र ही लोकार्पण भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू द्वारा किया जायेगा।

श्री जवाहर विद्यापीठ संस्था जो आचार्य श्री की स्मृति में ही स्थापित हुई थी। आचार्य श्री जवाहरलाल जी की स्मृति में आचार्य श्री जवाहर साधना भवन का नवनिर्माण करवाया था, जिसका कल दिनांक 24.10.2025 को उद्घाटन श्री जवाहर विद्यापीठ के अध्यक्ष राजकरण पूगलिया के परिवार के कर कमलों से हुआ तथा समारोह में साधना भवन के निर्माण में सहयोगी सभी दानदाताओं का सम्मान किया। इस प्रकार आचार्य श्री जवाहरलाल जी की 150 वीं जन्म जयन्ती समारोह पूर्वक सम्पन्न हुई।

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