रबी फसलों के लिए विस्तृत मार्गदर्शन: डीएपी के स्थान पर एसएसपी और एनपीके ग्रेड उर्वरकों का उपयोग क्यों और कैसे — संयुक्त निदेशक (कृषि)

ट्रिपल एस ओ न्यूज, बीकानेर, 22 अक्टूबर। संयुक्त निदेशक (कृषि) श्री मदन लाल और सहायक निदेशक (कृषि-उद्यानिकी) श्री मुकेश गहलोत द्वारा जारी जानकारी के आधार पर रबी सीजन में किसानों को डीएपी के स्थान पर एसएसपी (सिंगल सुपर फॉस्फेट)एनपीके ग्रेड्स उर्वरक अपनाने की सलाह दी जा रही है। नीचे विस्तार से बताया गया है कि इसका कारण क्या है, आर्थिक तथा पोषक दृष्टि से फायदे क्या हैं, किस प्रकार और कब उपयोग करें तथा किसानों के लिए किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

रबी फसलों के लिए विस्तृत मार्गदर्शन: डीएपी के स्थान पर एसएसपी और एनपीके ग्रेड उर्वरकों का उपयोग क्यों और कैसे — संयुक्त निदेशक (कृषि)

1. एसएसपी (Single Super Phosphate) — क्या है और फायदे

  • संरचना: एसएसपी में लगभग 16% फॉस्फोरस (P₂O₅) और 11% सल्फर (सुल्फर) मौज़ूद होता है।

  • तिलहन व दलहन के लिए उपयुक्तता: तिलहन और दलहन फसलों को सल्फर की आवश्यकता अधिक होती है; इसलिए एसएसपी इनमें डीएपी की अपेक्षा अधिक लाभ देता है। सल्फर न सिर्फ प्रोटीन संश्लेषण में मदद करता है बल्कि फसल की गुणवत्तायुक्त तेल/प्रोटीन सामग्री बढ़ाने में सहायक है।

  • स्थानीय उपलब्धता: राज्य में एसएसपी का उत्पादन होने के कारण यह स्थानीय स्तर पर सुलभ रहता है — आपूर्ति बेहतर रहने से आपात स्थिति में भी मिलता है।

  • किफायती विकल्प: मौजूदा भावों के अनुसार एक बैग डीएपी की कीमत में लगभग तीन बैग एसएसपी खरीदे जा सकते हैं। तीन बैग एसएसपी से मिलने वाले पोषक तत्वों का कुल आर्थिक मूल्य लगभग ₹1,900 आता है, जबकि एक बैग डीएपी में मिलने वाले पोषक तत्वों का मूल्य लगभग ₹1,350 तक है — यानी पोषक तत्व प्रति रुपये आधार पर एसएसपी अधिक किफायती है।

  • यूरिया के साथ तालमेल: एसएसपी में नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है; अतः बुवाई के समय या आवश्यकता अनुसार यूरिया के साथ मिलाकर देने से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और सल्फर का सन्तुलित पोषण सस्ती कीमत पर किया जा सकता है।


2. एनपीके ग्रेड्स उर्वरक — संतुलित पोषण का साधन

  • क्या हैं एनपीके ग्रेड्स: एनपीके का अर्थ है N (नाइट्रोजन), P (फॉस्फोरस) और K (पोटाश) — इन तीनों पोषक तत्वों को एक ही ग्रेड/मिक्स के रूप में उपलब्ध कराया जाता है, जैसे 12:32:16, 20:20:20 वगैरह।

  • लाभ:

    • फसल को एक साथ मुख्य तीन पोषक तत्व मिलते हैं — जिससे पोषण अधिक संतुलित रहता है।

    • मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने में मदद मिलती है (विशेषकर जब सही ग्रेड एवं अनुपात मिट्टी परीक्षण के अनुरूप इस्तेमाल हो)।

    • कुछ ग्रेड्स (उदा. 20:20:0 या 20:20:0:13 में अतिरिक्त सूक्ष्म पोषक तत्व या सल्फर भी मिलाया जा सकता है) विशिष्ट फसलों/मिट्टी की जरूरत के अनुसार चुने जा सकते हैं।

  • उपलब्ध ग्रेड्स (उदाहरण): 12:32:16, 20:20:0, 20:20:20, 16:16:16, 15:15:15, 20:20:0:13, 19:19:19 आदि। हर ग्रेड का अनुपात और उद्देश्य अलग होता है — उदाहरण के लिए 12:32:16 में फॉस्फोरस अपेक्षाकृत अधिक होता है, जो मिट्टी में फॉस्फोरस की कमी होने पर उपयोगी है।


3. आर्थिक तुलना और भ्रांतियाँ

  • किफायती पोषण: ऊपर दिए गए आँकड़ों के अनुसार एसएसपी + यूरिया के संयोजन से किसान कम खर्च में वही या अधिक पोषक तत्व दे सकता है जो डीएपी से मिलता है। इसलिए लागत-लाभ के हिसाब से यह विकल्प आर्थिक रूप से हितकर है।

  • गुणवत्ता बनाम मात्रात्मक तुलना: केवल कीमत देखकर निर्णय न लें — पोषक तत्वों की शुद्धता, उपयुक्त अनुपात और मिट्टी की स्थिति को ध्यान में रखें। कभी-कभी डीएपी किस्म अनुसार बेहतर अनुपात दे सकता है; इसलिए मृदा परीक्षण आवश्यक है।


4. कैसे चुनें — मृदा परीक्षण और अनुशंसा

  • मृदा परीक्षण जरूरी: किसी भी उर्वरक का चयन करने से पहले खेत की मिट्टी की जाँच कराएं। इसमें pH, उपलब्ध नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सूक्ष्म पोषक तत्वों का स्तर निकाला जाता है।

  • मृदा परीक्षण पर आधारित अनुशंसा: मृदा परीक्षण के अनुसार ही उपयुक्त ग्रेड का चयन करें — यदि मिट्टी में फॉस्फोरस कम है तो 12:32:16 या एसएसपी ज्यादा उपयोगी हो सकता है; यदि नाइट्रोजन कम है तो अधिक N वाले ग्रेड उपयुक्त होंगे।

  • फसल अवस्था: बुवाई में एक तरह, बढ़वार में और फसल के अंतिम चरण में अलग-अलग पोषक आवश्यकता होती है — इन अवस्थाओं के आधार पर विभाजित खुराक दें (split application)।


5. उपयोग के व्यावहारिक सुझाव (रबी फसलों के लिए)

  • बुवाई के समय:

    • तिलहन/दलहन: बुवाई से पहले भूमि समतल करके, मिट्टी में बेसिक एसएसपी डाल कर हल्की जुताई कर दें ताकि फॉस्फोरस और सल्फर जड़ क्षेत्र तक पहुँच सके। इसके साथ यूरिया का कुछ हिस्सा मिला कर या साइड ड्रेसिंग के लिए अलग रखें।

    • बुवाई के समय कुल नाइट्रोजन की मात्रा का पूरा हिस्सा एक साथ न दें — कुछ नाइट्रोजन बुवाई पूर्व, कुछ वृद्धि चरण में दें।

  • खुराक का बंटवारा (उदाहरण):

    • यह विभिन्न फसलों और मिट्टी के अनुसार बदलता है; सामान्यत: 1) बुवाई से पहले फॉस्फोरस और पोटाश की संपूर्ण जरूरत, 2) नाइट्रोजन को 2–3 हिस्सों में बाँट कर देना बेहतर रहता है।

  • एनपीके ग्रेड का चुनाव:

    • यदि मिट्टी में K की कमी नहीं है → 20:20:0 जैसे ग्रेड उपयोगी।

    • संतुलित आवश्यकता हो तो 20:20:20 या 16:16:16।

    • तेल वाली फसलों में सल्फर की मांग अधिक — इसलिए एसएसपी का उपयोग लाभकारी।

  • सूक्ष्म पोषक तत्व: यदि मिट्टी परीक्षण में ज़िंक, बोरान आदि की कमी दिखे तो सूक्ष्म पोषक तत्व की सही खुराक दें — यह भी फसल उपज पर बड़ा प्रभाव डालते हैं।


6. भंडारण, गुणवत्ता और खरीद पर सुझाव

  • गुणवत्ता की जाँच: दुकानदार से बिल व प्रमाण पत्र मांगें; पैकेट पर लिखी तत्व प्रतिशतता देखें। नकली/कम गुणवत्ता से बचें।

  • भंडारण: उर्वरक को सूखे, हवादार तथा मिट्टी से ऊपर किसी ठोस स्थान पर रखें; नमी से उर्वरक फट या जम सकते हैं। एसएसपी थोड़ी नमी सहनशील है परन्तु लंबे समय तक नमी में रखने से गुणनाशक घट सकता है।

  • स्थानीय आपूर्ति: एसएसपी राज्य में निर्मित होने के कारण सरकारी डीलरों व सहकारी समितियों से खरीद करना सुरक्षित रहता है।


7. पर्यावरण और मिट्टी स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • मृदा स्वास्थ्य: संतुलित पोषण और मृदा परीक्षण पर आधारित उर्वरक उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में सहायक होता है। लगातार केवल एक प्रकार का उर्वरक देने से मिट्टी असंतुलित हो सकती है।

  • सल्फर का लाभ: सल्फर अनुपूरक देने से नाइट्रोजन के उपयोग का लाभ (N-use efficiency) बढ़ता है और प्रोटीन निर्माण बेहतर होता है — विशेषकर तेल व दालों में।

  • नदियों/जल प्रदूषण: उर्वरक कुशलता से देकर (ज्यादा मात्रा न देकर) और आवश्यकतानुसार पानी देने से लीक/रनऑफ़ से जल प्रदूषण कम होगा।


8. सरकार व कृषि विभाग की भूमिका — सलाह और सहायताएँ

  • अनुसंशा: संयुक्त निदेशक (कृषि) व सहायक निदेशक ने स्थानिक समुचित ग्रेड व मृदा परीक्षण के आधार पर उपयोग की स्पष्ट सलाह दी है।

  • किसानों के लिए कदम:

    • नज़दीकी कृषि विभाग/किसान सूचना केंद्र (Kisan Kendra) से Soil Health Card के अनुसार मार्गदर्शन लें।

    • यदि उपलब्ध हों तो विभागीय ट्रेनिंग/फील्ड डेमो में भाग लें ताकि सही खुराक व तकनीक समझ में आए।

    • सहकारी समितियों व कृषि input दुकानों से प्रमाणिकता की जाँच कर खरीदें।


9. निष्कर्ष व सिफारिशें (किसान-केंद्रित)

  1. मृदा परीक्षण कराएँ और उसके अनुसार उर्वरक (एसएसपी/एनपीके/यूरिया) का चुनाव करें।

  2. यदि आपकी मिट्टी में सल्फर की कमी है — एसएसपी को प्राथमिकता दें, विशेषकर तेलीय व दलहनी फसलों में।

  3. संतुलित पोषण के लिए एनपीके ग्रेड्स का उपयोग आवश्यक है — उपयुक्त ग्रेड चुनें (उदा. 12:32:16 जब फॉस्फोरस ज्यादा चाहिए)।

  4. लागत-लाभ पर ध्यान दें — एसएसपी + यूरिया का संयोजन कई परिस्थितियों में डेढ गुना या उससे अधिक किफायती साबित होता है।

  5. उर्वरक की खुराक को विभाजित करके दें तथा फसल की अवस्थाओं के अनुसार साइड ड्रेसिंग करें।

  6. विभागीय सलाह और स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से नियमित मार्गदर्शन लेते रहें।

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