कलश यात्रा के साथ ‘नानीबाई रो मायरो’ कथा आरम्भ

ट्रिपल एस ओ न्यूज़, बीकानेर। श्रीमाली ब्राह्मण समाज महिला मण्डल के तत्वावधान में त्रिदिवसीय ‘नानीबाई रो मायरो’ का आरम्भ भव्य कलश यात्रा हुआ। कलश यात्रा निकाल कर शहर के विभिन्न मोहल्ले वासियों को कथा सुनने हेतु आमंत्रण दिया गया।

कलश यात्रा के साथ ‘नानीबाई रो मायरो’ कथा आरम्भ
कलश यात्रा के साथ ‘नानीबाई रो मायरो’ कथा आरम्भ

महिला मण्डल की अध्यक्ष्या इन्द्रा दवे ने इस अवसर पर कहा कि बीकानेर को धर्म नगरी कहा जाता है यहां प्रतिदिन धार्मिक आयोजन होते है तो इससे श्रीमाली समाज कैसे अछूता रह सकता है। दवे ने कहा कि नानीबाई रो मायरो हमें गुजरात एवं राजस्थान को जोड़ने एवं आत्मसात करने जैसा लगता है। भक्त और भक्ति को कोई सीमा बांध नहीं सकती, इसका प्रचार एवं प्रसार जितना किया जाए उतना की हमें पुण्य मिलता है।

     उदीयमान युवा कथवाचक पण्डित उत्कृष्ट महाराज ने भक्तराज नरसी जी के जीवन वृत्त का परिचय देते हुए कहा कि भक्त की सच्ची निष्ठा पर भगवान को उसकी सहायता के लिए आना ही पड़ता है। भगवान को पाने के लिए दृढ निश्चय एवं निश्छल भक्ति की परम आवश्यकता होती है। जीवन में कितने ही संकट आए लेकिन आप ईश्वर पर विश्वास रखेगें तो वह उन संकटों को हर लेगा। उन्होंने राजस्थान की कृष्ण भक्त करमाबाई का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि करमा बाई की निश्छल भक्ति के कारण ही भगवान को धरती पर आना पड़ा तथा उनके द्वारा बनाया खिचड़े का भोग अर्पण करना पड़ा। पंडित उत्कृष्ट महाराज ने कहा कि सच्चा प्रेम होतो काष्ठ की मूर्ति भी बोलने लगती है। कथा के आरम्भ में उन्होंने नरसी मेहता का परिचय देते हुए कथा के मर्म के बारें में विस्तृत जानकारी दी।

श्रीमाली महिला मण्डल की प्रवक्ता एवं सहसचिव सुनीता श्रीमाली ने बताया कि कथा के दौरान कई सजीव झांकियों का प्रदर्शन किया गया। इसमें कृष्ण एवं करमाबाई के रूप में अजय दवे तथा कोमल श्रीमाली, महादेव एवं पार्वती के रूप में स्वाति एवं उषा व्यास, कृष्ण एवं राधिका के रूप में प्रज्ञा तथा अनमोल एवं नरसी मेहता के रूप में दीपिका दवे ने अपनी भूमिका निभाई।

    कथा के दौरान सुरुचिपूर्ण प्रासंगिक भजनों के साथ पार्श्व में श्रीमती सरस्वती आचार्य, संगीतकार लालजी वैरागी ने मधुर कण्ठ के द्वारा गायकी में सहयोग दिया। संगीत वाद्य में तबले पर कान्हा पुरोहित एवं ओक्टोपैड पर नवीन शर्मा ने संगत की।

    कथा के प्रारम्भ में मनमोहन एवं इन्द्रा दवे, अभिषेक एवं कामिनी दवे तथा तेजेस एवं दिव्या श्रीमाली ने सपत्नीक पूजन एवं अर्चन किया।

कथा में श्रीमाली समाज की महिलाओं सहित श्रीरतन, उपेन्द्र, श्याम श्रीमाली, सूरज रतन, श्रीकान्त, विजय श्रीमाली एवं कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।


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